tag:blogger.com,1999:blog-74579544939602480.post3023747200965230051..comments2023-09-23T04:49:08.250-07:00Comments on सच्चा दोस्त: आलोचना करेंरमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttp://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-74579544939602480.post-21746834681118180992011-03-16T02:17:27.249-07:002011-03-16T02:17:27.249-07:00aapne bahut achchha blog banaya hai.aapne bahut achchha blog banaya hai.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/02710851726144681417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-74579544939602480.post-35973533024323809192011-02-26T03:06:18.424-08:002011-02-26T03:06:18.424-08:00आदरणीय श्री जैन साहब,
नमस्कार|
अपको काफी समय से प...आदरणीय श्री जैन साहब,<br />नमस्कार|<br /><br />अपको काफी समय से पढता रहा हूँ| आप न मात्र अपने बारे में, बल्कि हर प्रकार के सवालों और मुद्दों को पूरी सिद्दत से उठाते हैं| आपने अपने दर्द को भी उकेरा है और देश एवं समाज की वाहीयात व्यवस्थाओं पर भी खूब कलम चलाई है|<br /><br />इस पोस्ट को आपने नया रूप दिया है| आपने अपने ब्लॉग की आलोचना के लिये 200 रुपये का इनाम घोषित करके, ब्लॉगरी में नयी विधा को जन्म दिया है|<br /><br />मैं इस काबिल नहीं कि आपके द्वारा चाहे अनुसार आलोचना कर सकूँ| यहॉं यह स्पष्ट कर दूँ कि न तो मुझे आलोचना करने या सुनने से डर लगता है और न हीं आलोचना करने या सुनने को मैं बुरा मानता हूँ| लेकिन समस्या यह है कि मुझे उतना तकनीकी ज्ञान नहीं है| जितना आपकी अपेक्षाओं के लिये जरूरी है| हॉं आपको एक सुझाव जरूर प्रस्तुत कर रहा हूँ|<br /><br />आपके ब्लॉग के टैक्स्ट का बैकग्राउण्ड नीला है और टैक्स्ट की कुछ पंक्तियॉं आपने काले रंग में सिलैक्ट कर रखी हैं, जिसके पीछे निश्चय ही आपका कुछ न कुछ मन्तव्य रहा होगा, लेकिन इस संयोजन के कारण काली पंक्तियों को पढने में मुश्किल होती है और उन्हें इन्लार्ज करके पढना पड़ता है! क्या ही बेहतर हो कि इन्हें काले रंग के बजाय सफेद या पीले या आपकी पसन्द के किसी अन्य रंग में दर्शाया जावे तो पाठकों द्वारा आसानी से पढा जा सकेगा और मैं समझता हूँ कि ब्लॉग को पाठकों द्वारा आसानी से पढा जाये, यह प्रत्येक ब्लॉगर का लक्ष्य होता है|<br /><br />आशा है कि आप इस सुझाव पर सकारात्मक विचार करेंगे|<br /><br />शुभाकांक्षी<br />डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’यदि बोलोगे नहीं तो कोई सुनेगा कैसे?-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'/ Dr. Purushottam Meena 'Nirankush'-सम्पादक-PRESSPALIKA, राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान, Mob : 98285-02666https://www.blogger.com/profile/01854980253449056926noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-74579544939602480.post-15188894811677387262011-02-22T03:19:15.992-08:002011-02-22T03:19:15.992-08:00श्रीमान जी, अब मुझे हिंदी में ईमेल भेजनी आ गई हैं....श्रीमान जी, अब मुझे हिंदी में ईमेल भेजनी आ गई हैं.आपका ब्लॉग अच्छा है.अब मैं भी टिप्पणी भेजा करुँगी.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/02710851726144681417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-74579544939602480.post-26152066448439607172011-02-20T09:32:30.292-08:002011-02-20T09:32:30.292-08:00बढियां है !बढियां है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-74579544939602480.post-16041220555240846172011-02-20T04:40:47.298-08:002011-02-20T04:40:47.298-08:00इसे कहते हैं आलोचना! जो एक ईमेल से प्राप्त हुई है,...इसे कहते हैं आलोचना! जो एक ईमेल से प्राप्त हुई है, मगर आ जाने क्यों उपरोक्त श्रीमान जी ने ब्लॉग पर आलोचना करना क्यों पंसद नहीं किया? यह रही उन श्रीमान जी की आलोचना-है न शब्दों में भी धमकी भरा अंदाज!<br /><br /><br />"आप जो भी हों, बहुत ही वाहियात मेल भेजा है आपने. आप ब्लागिंग करने आये हैं या ब्लागिंग में अमर होने के लिए? खुद को इतनी गंभीरता से लेते हैं मुझे उससे गुरेज नहीं लेकिन दूसरों की इज्ज़त करना सीखिए. आजतक लिंक भेज कर ब्लॉग पढ़ने का अनुरोध करने वालों को देखा था और सच कहूँ तो उसे बुरा भी नहीं मानता लेकिन २०० रूपये का ईनाम? यह तो हद ही हो गई भाई. कृपया इस तरह का मेल दोबारा न भेजें" धन्यवाद.रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-74579544939602480.post-57195762175733218142011-02-20T04:31:54.503-08:002011-02-20T04:31:54.503-08:00रमेश जी! लाइए दो सौ रूपये मैं फालतू हूँ और फालतू ल...रमेश जी! लाइए दो सौ रूपये मैं फालतू हूँ और फालतू लोगों के ही आजकल मजे है. कहो तो इस इनाम के लियें मैं किसी से सिफारिश करवा दूँ. प्लीज़ इस इनाम पर तो मेरा ही हक है ना, दे दो न. नहीं कोई, बात नहीं!फिर ले लेंगे. अंदाज़ बहतरीन है, मुबारक हो भाई.अख्तर खान अकेला,कोटा-राजस्थान. <br /><br /><br />श्रीमान अख्तर खान अकेला जी, आपकी टिप्पणी का हिंदी में अनुवाद व संपादित कर दिया है. आपको मेरे ब्लॉग में कोई कमी दिखाई नहीं दी, इसका मुझे अफ़सोस है. शायद आप आलोचना करके नाराज नहीं करना चाहते थें. इसलिए मुझे चने के छाड़ पर चढ़ा दिया आपने. जहाँ तक दो सौ रूपये की बात है आप उसको पाने के शर्तों का पालन नहीं किया है. यह कोई सरकारी नौकरी नहीं है,जो यहाँ सिफारिश काम कर जाएँगी.यहाँ सर्वप्रथम "ईमानदारी" को प्राथिमकता मिलेगी. शायद आप किसी की आलोचना करने से डरते हैं, मगर मैं नहीं डरता. यह देखो मैं आपकी अभी आलोचना करके दिखता हूँ. यह रही आपकी आलोचना-श्रीमान जी आप अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखते हैं और मेरे या अन्य ब्लॉग पर टिप्पणी अंग्रेजी भेजते हैं. कहिये कैसी लगी आपको हमारी खुबसूरत आलोचना! लिखना जरुर इन्तजार रहेगा............आपके जवाब का.रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-74579544939602480.post-16513491666001084762011-02-20T04:19:49.527-08:002011-02-20T04:19:49.527-08:00ईनाम तो नही चाहिये , एक सुझाव मुफ़ मे दे रहा हुं अग...ईनाम तो नही चाहिये , एक सुझाव मुफ़ मे दे रहा हुं अगर मानो तो.... भाई यह नीचे हरे ओर चमकीले रंगो की जगह साधारण रग के टेम्पलेट लगाओ तो ब्लाग बहुत सुंदर लगेगा, ओर पढने वालो की आखें भी नही चुधियायेगी...राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-74579544939602480.post-38749986580056851632011-02-20T03:49:36.870-08:002011-02-20T03:49:36.870-08:00rmesh ji laaiye do so rupye men falatu hun or fala...rmesh ji laaiye do so rupye men falatu hun or falatu logon ke hi aajkl mze hen kho to is inama ke liyen men kisi se sifarish krva dun pliz is inama pr to mera hi hq he naa de do na nhin koi baat nhi fir le lenge andaz bhtrin he mubark ho bhai. akhtar khan akela kota rajsthanakhtar khan akelahttp://www.akhtarkhanakela.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-74579544939602480.post-51417814723331113932011-02-20T03:43:44.225-08:002011-02-20T03:43:44.225-08:00वाह भई जैन साब बल्ले बल्लेवाह भई जैन साब बल्ले बल्लेKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.com