दोस्ती शब्द से ही एक पवित्र रिश्ते का एहसास होता है अगर आप दोस्ती के वास्तविक अर्थ से अवगत है और अपनी दोस्ती को पूरे विश्वास,निष्ठां व वफादारी से निभाने की क्षमता रखते हैं तब ही आपको दोस्ती के लिए अपने हाथ बढ़ाने चाहिए.वरना यह कहकर संतोष कर लीजिए कि-"दुनिया में राज-ए-दिल,दोस्ती करते तो हम किससे.मिलते ही नहीं,जहाँ में हमारे ख्याल के" आपके लिए यह ब्लॉग "सच्चा दोस्त" एक "पवित्र दोस्ती" का दायरा बढ़ाने की कोशिश के साथ ही अच्छे व बुरे अनुभवों को व्यक्त करता है.
कृपया हिंदी में लिखने के लिए यहाँ लिखे
आईये! हम अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी में टिप्पणी लिखकर भारत माता की शान बढ़ाये.अगर आपको हिंदी में विचार/टिप्पणी/लेख लिखने में परेशानी हो रही हो. तब नीचे दिए बॉक्स में रोमन लिपि में लिखकर स्पेस दें. फिर आपका वो शब्द हिंदी में बदल जाएगा. उदाहरण के तौर पर-tirthnkar mahavir लिखें और स्पेस दें आपका यह शब्द "तीर्थंकर महावीर" में बदल जायेगा. कृपया "सच्चा दोस्त" ब्लॉग पर विचार/टिप्पणी/लेख हिंदी में ही लिखें.
रविवार, फ़रवरी 20, 2011
आलोचना करें
आप मेरे ब्लॉग की आलोचना कीजिए और 200 रूपये का नकद ईनाम (पांच व्यक्ति) मनीआर्डर से घर बैठे ही पायें!
शनिवार, फ़रवरी 05, 2011
जीवन के उतराव-चढ़ाव का उल्लेख करती एक आत्मकथा
भ्रष्ट व अंधी-बहरी न्याय व्यवस्था से प्राप्त अनुभवों की कहानी का ही नाम है
"सच का सामना"
वाह! क्या कहने है? किसी ने क्या खूब पक्तियां कही है कि-प्यार एक अहसास है, एक ऐसा एहसास जिसने लाखों लोगों के सपने संजोये, लाखों मुर्दा दिलों को जीने की राह दिखाई....... एक ऐसा एहसास जिसने लाखों लोगों को जीते जी मार दिया, वे ना जी सके और ना ही मर सके, बस एक जिन्दा लाश बनकर रह गए......प्यार जो पूजा भी है...... प्यार जो जिन्दा इंसान की मौत का कारण भी है और उसका कफन भी है... प्यार हरेक के लिए कुछ अलग, कुछ जुदा, कुछ खट्टा और कुछ मीठा है. कुछ लोग मोहब्बत करके हो जाते हैं बर्बाद, कुछ लोग मोहब्बत करके कर देते हैं बर्बाद.
मैंने ऐसा अनुभव किया कि-अक्सर लोग दूसरों के जीवन में ताकझांक की कोशिश भी खूब करते/होती हैं. लेकिन अपने दांपत्य जीवन की परतें खोलने का प्रयास कोई नहीं करता. मगर कुछ महिलाएं अपनी करीबी सहेलियों से थोड़ा बहुत शेयर भी कर लेती है. लेकिन पुरुष इस पर कुछ कहना अपनी प्रतिष्ठा के खिलाफ समझता है. वह अपने दांपत्य जीवन को लोहे की जंजीरों से जकड़े रखना चाहता है. मगर कभी-कभी ऐसा होता है कि-एक सभ्य और सम्मानित पुरुष वेकसूर होते हुए भी कसूरवार ठहरा दिया जाता है. तब वो पुरुष अपने दांपत्य जीवन की परतें खोलने के लिए मजबूर हो जाता है.
मैंने पूरी ईमानदारी से दांपत्य जीवन की डोर चलाने की बहुत कोशिश की. मगर दूषित व बीमार मानसिकता वाली पत्नी और लालची सुसरालियों की साज़िश के साथ ही फर्जी केस दर्ज करने वाले अधिकारी और रिश्वत मांगते पुलिस अधिकारी के अलावा सरकारी वकील,धोखा देते वकीलों की कार्यशैली, भ्रष्ट व अंधी-बहरी न्याय व्यवस्था से प्राप्त अनुभवों की कहानी का ही नाम है
"सच का सामना"
शकुंतला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन परिवार के मैनेजिंग एडिटर एंड पब्लिशिंग डायरेक्टर रमेश कुमार जैन उर्फ़ सिरफिरा के प्रेम-विवाह करने से पहले और बाद के जीवन में आये उतराव-चढ़ाव का उल्लेख करती एक आत्मकथा
"सच का सामना"
उपन्यास के रूप में बहुत जल्द ही प्रकाशित होगी.
एक महत्वपूर्ण वैवाहिक सलाह:- आप पिछले विवादों को बार-बार कुरेदकर एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश न करें. जो भी मामला या विवाद एक बार सुलझा लें उसके बाद उसे भूल जाएँ. लेकिन कहीं बार कुछ महिलाएं पुराने विवादों को बार-बार कुरेदकर अपने परिवार को अपने हाथों से उजाड़ चुकी हैं. आप कदपि ऐसा न करें. # निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461
सदस्यता लें
संदेश (Atom)