दोस्ती शब्द से ही एक पवित्र रिश्ते का एहसास होता है अगर आप दोस्ती के वास्तविक अर्थ से अवगत है और अपनी दोस्ती को पूरे विश्वास,निष्ठां व वफादारी से निभाने की क्षमता रखते हैं तब ही आपको दोस्ती के लिए अपने हाथ बढ़ाने चाहिए.वरना यह कहकर संतोष कर लीजिए कि-"दुनिया में राज-ए-दिल,दोस्ती करते तो हम किससे.मिलते ही नहीं,जहाँ में हमारे ख्याल के" आपके लिए यह ब्लॉग "सच्चा दोस्त" एक "पवित्र दोस्ती" का दायरा बढ़ाने की कोशिश के साथ ही अच्छे व बुरे अनुभवों को व्यक्त करता है.
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मंगलवार, जुलाई 17, 2012
हमें अपने चरित्र का निर्माण करना चाहिए
2 टिप्पणियां:
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बहुत दिनो बाद आपकी पोस्ट देखी। बहुत बढिया आलेख। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंदोस्त दोस्ती के गुलदस्ते का वह पौधा है जो विस्वास के पानी से जिन्दा
जवाब देंहटाएंरहता है